परीक्षा के तनाव से बचने के उपाय
जैसे ही परीक्षा का भय छात्रें के मन में आता है, वे तनाव से निजात पाने के तरह-तरह के उपाय सोचने लगते हैं। कई छात्र् तो परीक्षा के डर से आत्महत्या तक कर लेते हैं। एक सर्वे के अनुसार सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले फरवरी-मार्च में सामने आते हैं। इसी समय दसवीं-बारहवीं के पेपर शुरू होते हैं। तब छात्रें पर काफी मानसिक दबाव रहता है। आत्महत्या करने का मुख्य कारण परीक्षा का तनाव होता है। इस तनाव से बचने के लिए छात्र् क्या करें?
ईश्वर की प्रार्थना करें-
परीक्षा के दौरान कई विद्यार्थी मंदिर-मस्जिद, गिरजाघर- गुरुद्वारे के चक्कर लगाना शुरू कर देते हैं। कई विद्यार्थी तो उपवास या फिर 40 दिन की प्रार्थना भी शुरू कर देते हैं। रात-दिन किताबों में सिर खपाने के बाद वह प्रार्थना के लिए मंदिर पहुंच जाते हैं। अच्छे नतीजे और सही तरीके से परीक्षा दे सकें, इसलिए भी छात्र् भगवान से दिन-रात प्रार्थना करते हैं। कई घंटे पढने के बाद अगर आप प्रार्थना करते हैं तो यह आफ मन को रिलैक्स जरूर करेगा पर बेहतर परिणाम के लिए। आपको मन लगा कर पढाई तो करनी ही पडेगी। अगर आप पूरे साल पढाई न कर सिर्फ भगवान की पूजा कर उम्मीद करेंगे कि परिणाम बेहतर हो तो यह शायद संभव नहीं होगा। ऐसा नहीं है कि प्रार्थना न करें पर यह सोचकर कि सिर्फ पूजा-पाठ करने से आपको सफलता मिल जाएगी। यह गलत होगा। भगवान भी उसी की मदद करते हैं जो मेहनत करता है, यह आप जरूर याद करें। अगर पूरे साल आप ढंग से मेहनत करें तो आपको परीक्षा का भय नहीं रहेगा और आप ठंडे दिमाग से परीक्षा दे पाएंगे। फिर ईश्वर की प्रार्थना आपका आत्मबल ही बढाएगी।
सिगरेट शराब से रहें दूर-
हाल में किए गए अध्ययन के मुताबिक बोर्ड परीक्षा के तनाव और पढाई पर ध्यान के लिए छात्र् स्मोंकिग करने लगे हैं। करीब दस से पंद्रह फीसदी छात्र् इन दिनों अपने आपको रिलैक्स रखने के लिए स्मोंकिग का सहारा लेते हैं। 25 फीसदी छात्र् जंक फूड पर निर्भर रहते हैं ताकि खाना खाने में उनका समय बर्बाद न हो। डॉक्टरों के मुताबिक छात्रें का यह सोचना कि स्मोकिंग उन्हें रिलैक्स रखेगी, यह गलत है। यह सेहत के लिए भी खतरनाक है। इसलिए जहां तक हो सके, घर का बना खाना खाएं और सिगरेट-शराब से दूर रहें। अपनी क्षमतानुसार मेहनत करें।
मीडिया से रहें दूर-
इन दिनों सबसे ज्यादा तनाव अखबार और टीवी की खबरों से होता हैं। मीडिया कई बार बढा-चढा कर बोर्ड परीक्षाओं का डर पैदा करता है। फलां छात्र् ने परीक्षा के डर से आत्महत्या कर ली, ऐसी खबरें इन दिनों टीवी पर ज्यादा दिखाई जाती है जिसका छात्रें पर नकारात्मक असर पडता हैं। छात्रें को परीक्षा से ज्यादा आसान आत्महत्या लगने लगता है। रौशनी और उनके दोस्तों की मानें तो इन दिनों मीडिया बोर्ड परीक्षाओं को लेकर तनाव बढा देता है। रेडियो का कोई भी चैनल लगाओ परीक्षा के बारे में कोई न कोई कार्यक्रम मिल ही जाता है। कभी-कभी यह छात्रें को काफी चिडचिडा बना देता है। इसीलिए ऐसी खबरों पर ध्यान न देकर हल्का संगीत सुनें या कोई कॉमेडी फिल्म देखें। इससे आापका तनाव कम हो जाएगा।
माता-पिता भी करें सहयोग-
परीक्षा नजदीक आते ही माता-पिता का तनाव बच्चों पर हावी होने लगता है। बच्चों ने चाहे पूरे साल ढंग से तैयारी की हो पर परीक्षा नजदीक आते ही माता-पिता बच्चों के पीछे पडे रहते हैं। टीवी देखना, बातें करना, खेलना-कूदना सब बंद कर देते हैं। पर यह सब गलत है। जहां तक हो सके बच्चों के साथ दोस्ताना बर्ताव करें। आपका तनाव कम रखें ताकि बच्चे तनाव में न आए। हर वक्त बच्चे को पढते रहने की नसीहत न दें। उसे अपने हिसाब से तैयारी करने के लिए कहें। बस यह ध्यान रखें कि वह हर विषय को पूरा समय दे।
परीक्षा के समय कई स्कूलों में कांउसलिंग की जाती है। बच्चों पर परीक्षा का इतना तनाव होता है कि वह अपनी मदद के लिए कांउसलर के पास जाना चाहते हैं। कोई भी बच्चा कम नंबर नहीं लाना चाहता। इस डर से कि कहीं उसके दोस्त, ट्यूशन टीचर या फिर माता-पिता से उसे नकारात्मक शब्द सुनने को न मिलें। इस समय शिक्षकों को भी बच्चों में सकारात्मक नजरिया बनाना चाहिए। बोर्ड परीक्षाओं के अलावा भी जीवन में चुनौतियां आएंगी। अगर आप अभी से आत्मविश्वास खो देंगे तो फिर भविष्य की चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे? इसीलिए अपने पर भरोसा रखें और तनाव में आए बिना बोर्ड परीक्षाएं दें ताकि सफलता आफ कदम चूमे।