देसी घरेलु नुस्खे-रजोनिर्वत्ति (मासिकधर्म माहवारी)का समाप्त होना का अचुक घरेलु उपाय
परिचय:
प्रत्येक महीने मासिक स्राव का होना महिलाओं के शरीर का प्राकृतिक गुण होता है। यह क्रिया 45 से 50 वर्ष तक नियमित रूप से चलती रहती है। इसके बाद मासिक धर्म का आना बंद हो जाता है। बंद होने की अवस्था को रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म का बंद होना) कहते हैं। रजोनिवृत्ति के बंद होने के समय में जलन, चक्कर, शरीर में जलन, आंख, कान, नाक आदि स्थानों में गर्मी आदि का लक्षण होता है।
लक्षण:
मासिक धर्म के समाप्त होने के समय सिर दर्द, तालुओं में गर्मी, आंख, कान आदि स्थानों से गर्मी निकलना, जरायु (गर्भाशय) से अनियमित रूप से रक्तस्राव का होना रोगी का चिड़चिड़ा होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। कभी मानसिक विकार सम्बंधी विकार उत्पन्न होते हैं।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. जटामांसी: रजोनिवृत्ति के समय सभी मानसिक और शारीरिक कष्टों को मिटाने के लिए जटामांसी का चूर्ण एक चौथाई ग्राम से एक ग्राम प्रतिदिन 3 बार सेवन करना चाहिए।
2. धाय: धाय के फूल का चूर्ण 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद अथवा चावल के धोवन के साथ सेवन करने से रजोनिवृत्ति (माहवारी) के समय बीच-बीच में होने वाला रक्त (खूनी) प्रदर ठीक हो जाता है।
3. चंदन: चंदन का काढ़ा 10 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म का समाप्त होना), के अंत होने के समय होने वाले विकार कालिका, रक्तप्रदर और शारीरिक जलन आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।
4. दालचीनी: मासिक-धर्म की समाप्ति के बाद होने वाले शारीरिक और मानसिक परेशानी से बचने के लिए दालचीनी का तेल 1 से 3 बूंद को बताशे पर डालकर सुबह-शाम सेवन करना उचित होता है।
5. आंवला: शारीरिक जलन, ब्रह्मतालु में गर्मी आदि के लिए आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में मिश्री के साथ या सूखे आंवले का चूर्ण समान मात्रा में मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
6. चुकन्दर: इन रोगों में गाजर के 1 गिलास रस में चुकन्दर का रस मिलाकर प्रतिदिन 2 बार पीने से स्त्रियों के जननांगों से संबन्धित समस्त रोग समाप्त हो जाते हैं।
7. अजवाइन:
अजवायन 10 ग्राम और पुराना गुड़ 50 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय का मल साफ होता है। और रुका हुआ मासिक-धर्म फिर से जारी हो जाता है।
3 ग्राम अजवायन के चूर्ण को सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म की रुकावट दूर होकर, रजस्राव खुलकर होता है।
8. शीशम: शीशम का 3-6 ग्राम चूर्ण अथवा काढ़ा 50-100 मिलीलीटर कश्टार्तव (मासिकस्राव का कष्ट से आना) में सुबह-शाम देने से लाभ होता है।
9. बैंगन: मासिक-धर्म क्षीण हो गया हो या साफ न आता हो तो सर्दियों में बैंगन का साग, बाजरे की रोटी और गुड़ का बराबर सेवन करने से लाभ होता है। नोट: गर्म प्रकृति की स्त्रियों को यह प्रयोग न करायें।
10. तुलसी: मासिक-धर्म रुकने पर तुलसी के बीजों के सेवन करने से लाभ मिलता है।