ये उपाय अपनाये तनाव और थकान दूर भगायें

देसी घरेलु नुस्खे-ये उपाय अपनाएं, तनाव और थकान दूर भगाएं

हमारे शरीर का बड़ा हिस्सा पानी से निर्मित है और हमें सभी कार्यों को संपादित करने के लिए ऊर्जा के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में पानी की भी आवश्यकता रहती है। शरीर में मौजूद पानी के कारण ही हमारे शरीर की सभी प्रणालियां सुचारु रूप से कार्य करने में सक्षम हो पाती हैं।

दिल के लिए जरूरी है पानी
शरीर के हाईड्रेट रहने से अर्थात पर्याप्त मात्रा में पानी होने से हमारा कार्डियोवेस्क्युलर सिस्टम अच्छा रहता है, क्योंकि पानी की कमी से शरीर के आर्टरीज का लचीलापन कम होने लगता है। इसके परिणाम स्वरूप आर्टरीज सख्त हो जाती है, जिससे रक्त संचरण प्रभावित होने के कारण हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

दिमाग के लिए पानी का महत्व
सिरदर्द होने का एक कारण भरपूर मात्रा में पानी नहीं पीना भी पाया गया है। पानी की कमी से दिमाग की विभिन्न कार्यप्रणालियां और स्मरण शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पानी की कमी के कारण मस्तिष्क में तनाव उत्पन्न होता है और हमेशा शारीरिक थकान का अनुभव होता है।

फेफड़ों की नमी के लिए उपयोगी है पानी
हम आजीवन सांस लेते हैं, लेकिन कभी आपने सोचा है कि क्या सांस लेने से भी हमारे शरीर का पानी कम होता है। प्रतिदिन सांस लेने के दौरान एक व्यक्ति लगभग दो से चार कप पानी को श्वसन क्रिया के दौरान फेफड़ों के द्वारा वाष्पीकृत कर देता है। ऐसे में फेफड़ों के टीश्यूज की नमी बनाए रखने के लिए पानी की खासी उपयोगिता होती है। यदि पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन न किया जाए तो फेफड़ों की कार्य क्षमता धीमी होने लगती है, साथ ही हिस्टेमाइन का लेवल भी घटने लगता है।

पानी की कमी रक्त संचार पर पड़ती है भारी
शरीर की कोशिकाओं की कार्य प्रणाली दुरुस्त रखने और रक्त संचरण प्रणाली को सुचारु रखने में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होगा तो रक्त का संचार धीमा हो जाएगा, साथ ही भोजन से प्राप्त होने वाले न्यूट्रिशन्स एवं ऑक्सीजन शरीर के विभिन्न अंगों तक नहीं पहंुच पाएंगे।

विषाक्त पदार्थों के फिल्टर में उपयोगिता
भोजन ग्रहण करने के बाद पाचन क्रिया और अन्य अंतः शारीरिक क्रियाओं के कारण हमारे शरीर में कई प्रकार के विषाक्त पदार्थों का निर्माण होता है, जो रक्त में घुली हुई अवस्था में रहते हैं। इन अनुपयोगी और नुकसानदेह पदार्थों से रक्त को शुद्ध करने का कार्य हमारी किडनियां करती हैं। पानी की कमी के कारण हमारी किडनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है और उन्हें क्षमता से अधिक कार्य करना पड़ता है। मूत्र त्याग के दौरान प्रति व्यक्ति के शरीर से लगभग छह से आठ कप पानी मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती है।